प्रदेश में भाजपा के असंतुष्टों की संख्या लगातार बढ़ता जा रहा है। कोई मंत्री, निगमों-बोर्डों का चेयरमैन बनने से असंतुष्ट हैं तो कोई संगठन में तरजीह नहीं मिलने से नाराज है। विधायकों, पूर्व विधायकों से लेकर अन्य नेताओं में भी इस बारे में असंतोष छाया हुआ है। इसी बीच अर्की के पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा के समर्थक भी इस बात से नाराज चल रहे हैं कि उन्हें सरकार और संगठन में कोई तरजीह नहीं दी गई है। उनसे पहले शांता कुमार सरकार और संगठन को लेकर कड़ी बातें कर चुके हैं। मंत्री नहीं बन पाने से कुछ वरिष्ठ विधायक भी अंदरखाते नाराज चल रहे थे। दो दिन पहले भाजपा के विधायक एवं पूर्व मंत्री अनिल शर्मा ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। कुल मिलाकर यह बातें दो साल बाद के जयराम सरकार के मिशन रिपीट में बाधा बन सकती हैं। सियासत के जानकार इस बात को भी मानकर चल रहे हैं कि अगर यही हाल रहा तो दो साल बाद भी सरकार को मिशन रिपीट के लिए मोदी तिलिस्म के भरोसे ही रहना पड़ेगा।