आचार्य देवव्रत द्वारा हिमाचल के प्रत्येक गांव को प्राकृतिक खेती का माॅडल बनाने का आह्वान

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गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने युवा कृषकों का आह्वान किया कि वे हिमाचल प्रदेश के प्रत्येक गांव को प्राकृतिक खेती का ऐसा माॅडल बनाएं जो पूरे देश के लिए आदर्श बने। आचार्य देवव्रत आज सोलन जिला के बड़ोग में राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती युवा किसान कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।


आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार के सहयोग से उन्होंने प्रदेश में किसानों-बागवानों को जिस प्रकार प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया था उसका लाभ अब सभी महसूस कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज हिमाचल प्रदेश को पूरे देश में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती के आदर्श के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती वास्तविक अर्थों में ईश्वर की पूजा है और रसायनिक खेती विनाश का प्रतिरूप है।

गुजरात के राज्यपाल ने युवा किसानों से आग्रह किया कि वे प्राकृतिक खेती के रूप में एक फसल के स्थान पर मिश्रित खेती को अपनाएं ताकि उनकी आय में आशातीत बढ़ोत्तरी हो सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने अतुलनीय पर्यावरण प्रदान किया है। यहां किसानों को सब्जी, फल तथा तिलहन के उत्पादन की ओर ध्यान देना चाहिए।


आचार्य देवव्रत ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के रूप में प्राकृतिक खेती को व्यापक बढ़ावा दिया गया और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में प्रदेश में प्राकृतिक खेती को मिशन मोड के रूप में अपनाया गया। उन्होंने कहा कि वे सभी किसानों को प्राकृतिक खेती के व्यवहारिक रूप की जानकारी प्रदान करते हैं। कुरूक्षेत्र में उनकी 200 एकड़ कृषि योग्य भूमि पर गेहूं की फसल 33 क्विंटल प्रति एकड़ होती है जबकि रसायनिक खेती में यह मात्र 22 क्विंटल प्रति एकड़ है। उन्हांेने कहा कि प्राकृतिक खेती में जल का उपयोग काफी कम होता है, इसका उत्पाद लम्बे समय तक ठीक रहता है और यह भूमि की प्राकृतिक उर्वरा शक्ति बनाए रखने एवं मनुष्य तथा जानवरों के लिए सर्वथा सुरक्षित है।

उन्होंने युवा किसानों से आग्रह किया कि प्राकृतिक खेती अपनाएं और प्रदेश सहित देश को रसायनिक जहर से मुक्ति दिलाएं।
प्राकृतिक कृषि के राज्य परियोजना निदेशक राकेश कंवर ने कहा कि प्रदेश के 12 जिलों के 80 विकास खंडों के 80,400 किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 01 लाख किसान और 20 हजार हैक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के अधीन लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि आज की कार्यशाला में 79 युवा किसान भाग ले रहे हैं। इनमें 57 स्नातक, 19 परास्नातक और 01 पीएचडी हैं। 

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