जिला में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान मनरेगा के माध्यम से अभी तक 27 करोड़ 68 लाख से अधिक धनराशि खर्च की जा चुकी है। मंगलवार को जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के सम्मेलन हॉल में ग्रामीण विकास और पंचायतीराज विभाग की योजनाओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त देबश्वेता बनिक ने यह जानकारी दी।


  उन्होंने बताया कि इस वित्त वर्ष के दौरान जिला में मनरेगा के माध्यम से कुल 3155 विकास कार्य आरंभ किए गए हैं, जिनमें से 262 कार्य पूरे भी कर लिए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक रोजगार सुनिश्चित करने के लिए जिला की सभी 248 ग्राम पंचायतों में नियमित रूप से मस्ट्रॉल जारी किए जा रहे हैं। सितंबर में ही 1642 मस्ट्रॉल जारी हो चुके हैं। उपायुक्त ने बताया कि मनरेगा के कामगारों को समय पर पेमेंट की जा रही है। जिला में इस वित्त वर्ष में पेमेंट की दर लगभग साढे 98 प्रतिशत चल रही है जोकि प्रदेश की औसत से अधिक है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत बनी परिसंपत्तियों की जियो टैगिंग पर भी सभी बीडीओ विशेष रूप से फोकस करें।


  जल संरक्षण कार्यों और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की समीक्षा करते हुए उपायुक्त ने कहा कि जिला में जल संरक्षण कार्यों को मनरेगा के माध्यम से गति प्रदान की जा सकती है। हर पंचायत में इन कार्यों पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि पंचवटी योजना के तहत जिला में अभी तक 17 स्थानों पर पार्क विकसित किए जा रहे हैं तथा इनमें पौधारोपण किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत जिला में इस वित्त वर्ष में 80 गरीब परिवारों को मकान निर्माण के लिए धनराशि मंजूर की गई है।  बैठक के दौरान स्वच्छ भारत मिशन, ग्रामीण आजीविका मिशन, 14वें एवं 15 वें वित्त आयोग की धनराशि से जारी विकास कार्यों और अन्य योजनाओं की भी समीक्षा की गई। उपायुक्त ने अधिकारियों को इन योजनाओं को गति प्रदान करने के निर्देश दिए।


  इस अवसर पर डीआरडीए के परियोजना अधिकारी केडीएस कंवर ने विभिन्न योजनाओं का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया। बैठक में एडीएम जितेंद्र सांजटा, जिला पंचायत अधिकारी हरबंस सिंह, जिला योजना अधिकारी विनोद कुमार, सभी बीडीओ और अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।


 

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