सभी सरकारी कर्मचारियों को 31 दिसम्बर तक पांच दिन कार्यालय और छठे दिन वर्क फ्राॅम होम करने का निर्णय लिया गया
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां वीडियो काॅंन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और प्रदेश के विभिन्न स्वास्थ्य चिकित्सा महाविद्यालयों के चिकित्सा अधीक्षकों के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश में कोविड-19 के बढ़ते हुए मामलों और कोविड-19 के कारण मृत्यु दर पर चिन्ता व्यक्त करते हुए अधिकारियों को सम्बन्धित जिलों में बिस्तरों की संख्या में वृद्धि करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए 31 दिसम्बर, 2020 तक पांच दिन कार्यालय और छठे दिन वर्क फ्राॅम होम करने का निर्णय लिया है ताकि इस महामारी के संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य के चार जिलों शिमला, मण्डी, कुल्लू और कांगड़ा में रात्रि 9 बजे से प्रातः 6 बजे तक कफ्र्यू लगाने पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में समय-समय पर कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
जय राम ठाकुर ने कहा कि जैसे सामाजिक समारोहों विवाह आदि के दौरान लोगों की लापरवाही के परिणामस्वरूप ही प्रदेश में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने अब सभी सामाजिक समारोहों में लोगों की संख्या को घटाकर 50 करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक समारोह अब वर्चुअली किए जाएंगे, जिनमें लोगों की उपस्थिति निर्धारित नियमानुसार सुनिश्चित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने लोगों की सुविधा और गंभीर स्थिति से निपटने के लिए सभी जिला, क्षेत्रीय और नागरिक अस्पतालों में बिस्तरों की क्षमता में वृद्धि करने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निर्मित होने वाले सभी प्री-फैब्रिकेटिड कोविड केन्द्रों का निर्माण शीघ्र पूरा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने प्रदेश को सात आॅक्सीजन प्लांट स्वीकृत किए हैं। उन्होंने उपायुक्तों को इन आॅक्सीजन प्लांट को स्थापित करने के लिए भूमि चिन्हित करने के निर्देश दिए ताकि इन्हें शीघ्र स्थापित किया जा सके।
जय राम ठाकुर ने कहा कि अस्पतालों के प्रभावी प्रबन्धन को सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने मरीजों के बेहतर ईलाज के लिए कोविड वार्ड के प्रभारी के रूप में एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करके अस्पतालों में फुलप्रूफ व्यवस्था करने का भी निर्णय लिया है। उन्होंने उपायुक्तों को कोविड रोगियों के परीक्षण और उपचार के लिए निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं को भी शामिल करने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि होम आइसोलेशन के तहत रह रहे एसिम्प्टोमेटिक रोगियों के उपचार के लिए उचित प्रोटोकाॅल अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे रोगियों को उचित दवा उपलब्ध करवाने के लिए आवश्यक प्रबन्ध किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इन रोगियों के लिए पल्स आॅक्सीमीटर की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध की जाए ताकि खून में आॅक्सीजन की मात्रा की नियमित रूप से निगरानी की जा सके। उन्होंने कहा कि जलवायु में परिर्वतन के परिणामस्वरूप यह वायरस तेजी से फैल रहा है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ चिकित्सक कोविड-19 रोगियों का मनोबल बढ़ाने के लिए वार्ड के कम से कम तीन राउंड सुनिश्चित करें।
जय राम ठाकुर ने कहा कि विशेष रूप से कोविड-19 के मरीजों के अधिक मामलों वाले स्वास्थ्य संस्थानों में कर्मचारियों की कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों में शीघ्र परीक्षण और ट्रेसिंग की सुविधा के लिए पर्याप्त पैरा मेडिकल स्टाफ भी उपलब्ध करवाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भी महसूस किया गया है कि निर्धारित एसओपी के पालन में लोगों की लापरवाही इस वायरस के फैलने का प्रमुख कारण है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे इस प्रवृत्ति पर नजर रखें और सरकार द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों को लागू करके इस संबंध में उचित उपाय करें।
स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल ने भी इस अवसर पर अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
मुख्य सचिव अनिल खाची ने कहा कि कोविड-19 के मरीजों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री और अन्य अधिकारियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध करवाने के लिए स्वास्थ्य संस्थानों में कर्मचारियों को तर्कसंगत बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।
जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव जेसी शर्मा, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन हिमाचल प्रदेश के मिशन डायरेक्टर निपुण जिंदल, प्रधानाचार्य आईजीएमसी शिमला डाॅ. रजनीश पठानिया, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डाॅ. रवि शर्मा और अन्य अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे