प्रदेश के लोगों के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली हो रही वरदान साबित

0
7

हरित क्रांति से पूर्व, भारत खाद्यान्नों में अभाव से गुजर रहा था। देश के संवेदनशील क्षेत्रों के लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली विकसित की गई ताकि वांछित वर्ग को सस्ती दरों पर खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जा सके। वितरण की यह प्रणाली वर्ष 1951 से चली आ रही है। देश की खाद्य आर्थिकी के प्रबन्धन में सार्वजनिक वितरण प्रणाली सरकार की नीति का महत्त्वपूर्ण भाग है।
हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू करके समाज के गरीब व कमजोर वर्गों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध करवाने वाले अग्रणी राज्यों में है। वर्ष 1997 में इसका नाम बदलकर लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली रखा गया। राज्य में वर्ष 2017 से 2020 तक लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राज्य खाद्य आपूर्ति निगम लिमिटेड के 117 थोक गोदाम व 5017 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से अनुदानित खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है।
राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के दृढ़ प्रयासों से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनेक सुधार आए हैं और यह कार्यक्रम जरूरतमंदों के लिए सहायक सिद्ध हुआ है। लोगों को उचित मूल्य पर खाद्य आपूर्ति के लिए विभाग द्वारा 1 अप्रैल, 2007 को राज्य अनुदान योजना आरम्भ की गई। राज्य के और अधिक व्यक्तियों को लाभान्वित करने के लिए इस योजना को संशोधित भी किया गया। योजना के तहत सभी राशन कार्ड धारकों को सरकार के वित्तीय संसाधनों से अनुदानित चीनी, दालें, तेल व नमक प्रदान किया जा रहा है। गत तीन वर्षों में, राज्य सरकार द्वारा योजना के तहत 574.81 करोड़ रुपये व्यय किए गए।
वर्ष 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया गया जो खाद्य आन्दोलन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल थी। यह अधिनियम हिमाचल में भी लागू किया गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत प्रदेश सरकार अंत्योदय अन्न योजना के परिवारों को 35 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें 20 किलो गेहूं का आटा और 15 किलो चावल तथा प्राथमिकता प्राप्त परिवारों को 3 किलोग्राम गेंहू का आटा और 2 किलोग्राम चावल प्रदान कर रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अतिरिक्त गरीबी रेखा से ऊपर के लाभार्थियों को प्रति परिवार 11-13 किलोग्राम गेंहू का आटा और 5-7 किलोग्राम चावल प्रदान किए जा रहे हैं। राज्य के लक्षित लोगों को गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न प्रदान करने से उनकी पोषण स्थिति में समग्र सुधार हुआ है।
 प्रदेश सरकार कुपोषण से प्रभावी तरीके से निपटने और खाद्य पदार्थों के पोषक तत्वों को बढ़ाने के उद्देश्य से सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 से युक्त गेहंू का आटा, विटामिन-ए व डी से युक्त गुणवत्तायुक्त तेल, आयोडीन और आयरन से युक्त नमक प्रदान कर रही है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए तकनीक के उपयोग के साथ डिजिटाइजेशन और स्वचालन पर विशेष बल दिया जा रहा है। विभाग सार्वजनिक वितरण प्रणाली में दक्षता और पारदर्शिता में सुधार के लिए ‘एण्ड टू एण्ड कम्प्यूटराइजेशन’ क्रियान्वित कर रहा है। इस योजना के अंतर्गत राशनकार्डों का डिजिटाइजेशन किया गया है और अब तक 19.08 लाख राशनकार्डों को डिजिटाइजड किए जा चुके हैं। प्रदेश की उचित मूल्यों की दूकानों में स्वचालन के लिए एंड्राइड आधारित पीओएस डिवाइस भी लगाए गए हैं।
 उचित निगरानी और सही वितरण प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए विभाग द्वारा आधार सीडिंग अभियान भी शुरू किया गया है। जिसके अन्तर्गत अब तक लगभग 99 प्रतिशत राशनकार्डो को आधार नंबर से जोड़ा जा चुका है।
तकनीकी प्रगति की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार के हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा विकसित किए गए खाद्यान्नों के आॅनलाइन आवंटन और आपूर्ति श्रृंखला स्वचालन मोडयूल को क्रियान्वित किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के थोक गोदामों से खाद्यान्न प्राप्त होने पर उचित मूल्यों की दुकानों से एसएमएस आधारित अलर्ट भेजा जाता है। प्रदेश राज्य आपूर्ति निगम के थोक गोदाम से अनाज प्राप्त करने के पश्चात संबंधित उचित मूल्य की दुकानों के उपभोक्ताओं को एसएमएस अलर्ट भी भेजा जाता है।
लोगों को सुविधापूर्वक ई-कार्ड प्रदान करने के लिए एंड्रायड आधारित ई-पीडीएस एचपी मोबाइल एप्प को लांच किया गया है। यह एप्प प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इस एप्प के माध्यम से उपभोक्ताओं को उचित मूल्यों की दुकानों और थोक गोदामों में अनाज की उपलब्धता और मूल्य संबंधी जानकारी प्राप्त होती है।
विभाग के सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम जैसे लक्षित पीडीएस, रियायती खाद्यान्न आदि कई वर्गों के लिए लाभदायक सिद्ध हुए है।

Share this News

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here