बिजली बोर्ड लापरवाह – शिमला मे अतिक्रमण जारी

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एक तरफ जहां माननीय हिमाचल उच्च न्यायालय ने लोगों द्वारा सरकार की भूमि पर किए गए अतिक्रमण को गैर-कानूनी बताकर सरकार वह सारी भूमि को खाली करवाने के आदेश पारित किए और सरकार ने वह भूमि वापिस भी ली वहीं दूसरी ओर शिमला के उपनगर न्यू टूटू में तीन-चार गैर-सरकारी निजी लोगों द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड मंदिर के नाम पर सरकारी भूमि पर अतिक्रण किया जा रहा है। उन्होंने बिना किसी अनुमति से स्थानीय दो मंदिर को तोड़ दिया जिसमें एक मंदिर हनुमान जी का था और दूसरा तारा माता का मंदिर था। मंदिरों को तोड़ने के बारे मंे न तो उन्होंने सरकार से अनुमति ली और न ही विद्युत विभाग से। ज्ञातव्य है कि यह जमीन विद्युत विभाग के नाम है जिसकी सरहदबन्दी तहसीलदार ग्रामीण हाल में ही करवा चुके हैं। विद्युत विभाग के प्रबन्ध निदेशक और चैयरमैन को भी इसके बारे में शिकायतें मिल चुकी हैं लेकिन उनके द्वारा अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली है। नगर निगम के अधिकारी भी मौका देख कर जा चुके हैं। गत दिनों निर्माण की सामाग्री सड़क पर रखी होने स्थानीय पुलिस ने मौका पर आकर निरिक्षण किया और कुछ लोगों के ब्यान कलमबद्ध करने पर मामला खत्म कर दिया गया। आज भी निर्माण सामाग्री सरिया, रौड़ी, रेत आदि सड़क पर बिखरा पड़ा है जिससे यातायात की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हो रही है और घंटों जाॅम लगा रहता है। पैदल चलने वाले लोगों को भी परेशानी उठानी पड़ रही है।

पूछने पर मालूम हुआ कि विद्युत बोर्ड के प्रबन्ध निदेशक ने उन्हें मंदिर निर्माण की अनुमति दी है जिसके चलते उन्होंने एक बहुत बड़ा पक्का डंगा तोड़ कर आर.सी.सी. के पिल्लर खड़े कर दिए हैं। अब उनकी योजना वहां मकान बनाने की है जिसके लिए टनों के हिसाब से लोहा-सरिया और अन्य सामाग्री वहां एकत्र कर ली गई है। इसके लिए न तो सरकार की अनुमति ली गई और न ही कोई इसके लिए नक्शा बनाया गया है।

हद तो तब हुई जब दो दिन पहले इन लोगों ने मंदिर में जाने वाला रास्ता भी आर.सी.सी. दिवार लगा कर बन्द कर दिया जिससे न केवल लोगों का मंदिर में जाना रूक गया बल्कि श्रद्धालुओं ने तो डंगे के साथ रास्ते में ही जोत जगानी शुरू कर दी। जाहिर है कि इन सब गतिविधियों में विद्युत विभाग और प्रशासन का हाथ है अन्यथा कोई भी शिमला शहर के बीच सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने की सोच भी नहीं सकता।

सरकार की जमीन पर हो रहे अतिक्रमण के लिए लाखों रूपये किसी न किसी रूप में भोले-भाले लोगों से आस्था के नाम से अपनी निजी स्वार्थपूर्ति के लिए इकट्ठे किए जा रहे हैं। इन्होंने किस अथारिटी से बैंक के नाम खाता खोला है, चैक द्वारा कौन बैंक से पैमेंट निकलवाता है, किसने सरकार की जमीन पर पानी व बिजली का कुनेक्शन लगवाया है, 40 वर्षों से मंदिर के धन का क्या हुआ, कौन इसका नाजायज तौर पर लाभ ले रहा है, मंदिर की कमेटी कब-2 बनी और बदली गई और कमेटी के मेंबर कब-कब और क्यों बदलते रहे, आज की कमेटी में कौन-2 लोग हैं, कमेटी के प्रधान, सचिव तथा केशियर क्यों इस अतिक्रमण के कार्य से पीछे हटे हुए हैं तथा अन्य लोग किस आधार पर यह कार्य करवा रहे हैं। किन कारणों से बिजली विभाग इस बारे में संज्ञान नहीं ले रहा है। रिपेयर के नाम पर कंस्ट्रक्शन कैसे और क्यों करवाई जा रही है। क्या इसमें बिजली बोर्ड के आला अधिकारियों की संलिप्तता तो नहीं है अन्यथा आज तक इस बारे में एफ.आई.आर. रजिस्टर हो चुकी होती। यह जांच का विषय है। इस बारे में विद्युत विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग को तत्काल संज्ञान लेने की आवश्यकता है ताकि समय रहते इस बारे में कार्यवाही हो सके और धर्म के नाम पर गुराही किए जा रहे चन्दे से लोग मुक्ति पा सकें अन्यथा उनका लाखों रूपये डूबने का भय तो बना हुआ ही है कि कब इस बारे में न्यायालय कठोर संज्ञान ले और इस बारे में जांच का आदेश दें।

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